Friday, February 22, 2013

दाम

I was thinking about Hyderabad blast and this is what came in my mind ...

मुफ्तखोरो की दुनिया में अक्सर ये होता है
जिंदा इंसान का मोल नहीं
मर कर ऊँचे दामों पर बिकता है |

क्या हिन्दू, क्या मुसलमान, किसने किसको मारा
मुझे तो ज़मीन पर लगा लहू
एक समान दीखता है

खालिस व्यापार है दुनिया,और कुछ नहीं
कही सोना, कही चांदी और कही इंसान बिकता है

गया ज़माना जब तेरी अहमियत थी
अब बाजारों में, ईमान कोडियों के दाम बिकता है

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हरदीप


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