अब रेह रेह कर मिलने वो आने लगे
वो खाई हुई कसमे जो याद दिलाई
तो मुस्कुराने लगे
मौत की परवाह नहीं मुझे
और दुस्मनो से क्या डरना
अब तो दोस्त ही दिल पर ज़ख्म बनाने लगे
अलीम कहते थे लोग मुझे
इश्क में नाकाम क्या हुए
दीवाना केह के बुलाने
लगे
महफ़िलो में रेह्ते थे हर दम
यार की आगोश में
अब तो अपने साये से भी घबराने लगे
पत्थरओ से कत्ल किया लोगो ने मेरा
अब मेरी कब्र पर फूल चडाने लगे
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हरदीप
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