Monday, December 2, 2013

फिर वहीं कहानी....

सदियों बाद लौटा उम्मीद में, पर ..
दुनिया वैसी मिली, जैसी छोड़ आया था

लोगों ने रास्ते बना दिए 'दीप'
वहीं, जहाँ उम्मीद का पेड़ लगाया था

गर्दिश में एक-एक कर के सभी चल दिये
जो आखिर में साथ छोड़ गया, वो मेरा साया था

बदलती हवायें उड़ा ले गई तिनको को
चिड़याने बड़ी मुस्किल से घरोंदा बनाया था

किसे पता था बिच समुन्दर साथ छोड़ देगा वो
में उसके भरोसे, किनारे अपनी नाव छोड़ आया था

.............और क्या सबूत दू अपनी बंदगी का..
में कब्र से बाहर, दुआ में अपने दो हाथ छोड़ आया था
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हरदीप

Friday, September 6, 2013

चोट

क्या मिला किसी से दिल लगा के
हम ने दिल पर चोट खाई दिल लगा के

............ये अँधेरे हमें गवारा है 
रौशनी चली गई दामन छुड़ा के
क्या मिला किसी से दिल लगा के

किसी ने गम मिलाया, किसी ने पानी
मैं पि गया शराब जवानी मिला के
क्या मिला किसी से दिल लगा के

लोगों ने 'दीप' जलाये रौशनी के लिए
हमने रौशनी की घर जला के
क्या मिला किसी से दिल लगा के

अब और नहीं जीना ऐ दोस्त
देखली दुनिया, दुनिया में आ के 
क्या मिला किसी से दिल लगा के
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 हर'दीप'

Sunday, September 1, 2013

बेचैन

सदियों मुस्कुरा के बेचैन रहा मैं
आज पल भर रो के आराम आया

 बड़ी उम्मीद से घर में चिराग लाया
पर जल गई उंगलियाँ, जब चिराग जलाया

सहसा ऐहसास कुछ केह गया मुझे
अरसा हुआ कोई मिलने नहीं आया

महज़ बात इतनी, और दुनियां खफ़ा हो गई
के जबां पे,  तेरे बाद खुदा का नाम आया

फिर मिलेंगे वो केह के गया था
मैं उम्मीद में दरवाजा खुला छोड़ आया

 ( My Favorite lines)
दुनियां को कभी पता न चले ऐ दोस्त
तू मुझे छोड़ गया, या में तुझे छोड़ आया 
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हरदीप

Sunday, August 18, 2013

मौसम

यूँ मौसम काले बादलों से घिर आया
शायद मेरा ख़त उसने फिर जलाया

बिन मौसम बरसी बारिशे फिर
फिर कोई आंसू आखों से छलक आया

और क्या बया करू राज़-ऐ-दास्ताँ
.............एक खुली किताब हूँ
जिसका मन हुआ, पढ़ आया


फूक़ दो मुझे और खाख़ हो जाने दो
मैं हवाओ से उसका पता पूछ आया

ज़िन्दगी साथ जिया ही कब उसके
लम्हों में जिया, लम्हों में उससे छोड़ आया

कब माँगा था उसने कुछ मुझ से
मैं सितारों की ख्वाहिश में, चाँद छोड़ आया



बात सिर्फ इतनी सी, और कुछ नहीं
गुजरते वक़्त से हमने क्या सिखा
गुजरते वक़्त ने हमे क्या सिखाया
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 हरदीप


Friday, August 16, 2013

छल्ला

छल्ला केन्दा ने सच्चियाँ
के अजे उमरा,.. ने कच्चियाँ
के सुन,... गाल कर अछियाँ
के गाल सुन छ्लेया

छल्ला तू रेंदा वे कला
के उस्दियाँ लखा... गला
जिथे  वैखा सिर्फ ..अल्लाह 
के गाल सुन छ्लेया

के छल्ला बेठे छावे
के सुख-दुःख आवे ते जावे
किस्मत चे लिख्या तो पावे
के गाल सुन छ्लेया

के छल्ला वेखे चूड़ियां
सिर्फ नसीबा दी कुड़ियां
के जीवे रब तो मिलयां
के गाल सुन छ्लेया

के छल्ला दुनियाँ बेगानी
कौन गैर ते कौन दिल दा जानी
सोचा ते अखां चे सिर्फ पानी
के गाल सुन छ्लेया
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हरदीप

Thursday, August 15, 2013

आज़ाद

उन लाखों, करोड़ो की आस बन जाऊं
दिल करता है 'सुभाष' बन जाऊं

फिर गूंजे नारा आज़ादी का 
मैं तान मुछे 'आज़ाद' बन जाऊं

ये देश फिर एक बार बलिदान मांगता है
मैं 'राजगुरु' 'सुखदेव' 'भगत' बन जाऊं

उठा समशीर मर्दानी बन जाऊं
में जंग-ऐ-मैदान में 'झाँसी वाली रानी' बन जाऊं
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'सलाम'
हरदीप

Tuesday, August 13, 2013

समा

ऐ मेरे दिल इतनी रफ़्तार किसलिए
तेरे ऐहसास और है, उसके हालत और है

हर लम्हा एक सा नहीं होता....
वो समा और था, ये सिलसिला और है

आइना बया करता है हक़ीकत हमेशा
वो रुबरुह कोई और था, ये समक्ष कोई और है

ज़रा साँसों से कदम मिला ऐ दिल ..
वो तड़पना और था, ये धड़कना और है

कैसे कहूँ के वक़्त कितना बदल गया
वो ज़माना और था, ये ज़माना और है 
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हरदीप

Sunday, August 11, 2013

महान

मुझे  समज नहीं आता...
ये देश महान कैसे कहलाता है

सरहद पर जवान शहीद हो जाता है
नेता सियासत से बाज़ नहीं आता है
फिर ये देश महान कैसे कहलाता है

जहा शेर बंद है पिंजरों मैं
और कुत्ता सडको पर नज़र आता है 
फिर ये देश महान कैसे कहलाता है

ईमान बेच के दो वक़्त की रोटी कमाता है
इंसान जीने के लिए रोज़ मर जाता है
फिर ये देश महान कैसे कहलाता है

भूख  मरी से नहीं मरता इंसान
राशन की कतार में मर जाता है
फिर ये देश महान कैसे कहलाता है

बेटो को सर आँखों पर .....
बेटियों को जिंदा दफना दिया जाता है
फिर ये देश महान कैसे कहलाता है

 वाह रे इंसान, एक नई सुबह की चाह में
उम्मीद की चादर तान के सो जाता है
शायद ....
शायद इसीलिए, ये देश महान कहलाता है
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'सलाम'
हरदीप

Thursday, August 8, 2013

देश

I am sure you must have heard about our soldiers getting killed on border and people reacting angrily back home, i feel equally angry to see our so called rulers unable to protect them and not taking any firm step (I am not in favor of war), so here's my way of taking out the anger.

This is about a soldier who's writing to a politician about how angry he is looking at current situation.


मेरी कुर्बानी ज़ाया मत कर
यूं दुश्मनों को गले लगाया मत कर

गर मेरे साथ खड़ा रेह सके तो आ
गर दुश्मन को ललकार सके तो आ
वरना यूं सरहद पर आया मत कर

हमने खाई है सिने पर गोलियां
हमने देखि है खून की होलियां
लोगो को....  तू दास्ताँ सुनाया मत कर

गर खून में रवानी हो तो जा
गर इरादे तूफानी हो तो जा
वरना....
सहिदों की मज़ार पर जाया मत कर

माँ ने कई लाल वार दिए
बेटो ने कई साल वार दिए
तू.. आज.., कल.., परसों.. गिनाया मत कर

मेरे बाद कुछ नहीं बचा उस घर में
तू .... झोली फेलाके जाया मत कर
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'सलाम '
हरदीप

Saturday, August 3, 2013

यार

This isn't finished yet, but just wanted to share few quick thoughts, the whole mind set when writing is that you love someone so much that he/she becomes god for you. so this isn't about finding difference between the almighty and your love, but about finding similarities between your love and almighty.  I'll certainly add few more lines later on.

.....And more importantly it's in punjabi with hind char/words used to express the feeling.

तेनु मिलन दा यार एक ज़रीया 
बड़ा लब्या पर यार ना मिलिया  ( लब्या = to search)

मेरे यार दी अखां जीवे वेंदा पानी   (वेंदा पानी = flowing water)
जे उतर जावा तो सब दरिया- दरिया

फ़क़ीर हो जावा मैं उसदे दर दा 
जद वि हाथ चुक दुआं मंगिया


'दीप' की केन्दा सुन 'जीत'  ( केन्दा = listen what i am saying)
वेख नेहरे चे किवे दिवा बल्या  ( see how lamp shines in darkness)
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हरदीप

Wednesday, July 31, 2013

ख्याल-ll

खूगर हो गया मैं तनहाइयों का  (खूगर = Habituated)
अब अंजुमन की बात रेहने दे    (अंजुमन = Meeting)

कहीं कामयाबी बदल न दे मुझे
छोड़.... मुझे नाकाम रेहने दे

ये शहर बेलगाम बड़ता है 'दीप'
खुदा... उससे जुड़ा कोई तो मक़ाम रेहने दे   (मक़ाम = Place)

अपने ख्यालों के लिए वो मशहूर है
मुझे इरादों के लिए बदनाम रेहने दे

मर कर मिट्टी हो गया..... 'दीप'
पत्थर पर लिखा नाम तो रेहने दे
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हरदीप




Saturday, July 27, 2013

दास्तान

हमसे न पूछ मौसम का हाल
अब तो बूंदे भी आग लगाती है

तुझ से बिछड़े तो ज़माना हो गया
कमबख्त सासें अब भी साथ निभाती है

कुछ तो वजह होगी बेवफाई की 'दीप'
नज़रे आज भी शर्म से झुक जाती है

क्या सुनाऊँ तुझे दास्तान-ऐ-इश्क
उसके ख़याल से आह निकल जाती है

मुश्किल डगर है संभल ज़रा ऐ 'दीप'
आसान रास्तों पर मंजिल मिल ही जाती ही
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हरदीप

Wednesday, July 24, 2013

शब्द

जो वीर है,  धीर है
जो अचल है, अटल है
जो प्रचंड है, अखंड है
जो प्रबल है, सफल है
जो विशेष है, प्रत्यक्ष है
जो विचार है, विमर्श है
जो प्यार है, आधार है 
जो मधुर है, मशहूर है
जो गीत है, संगीत है
जो आस है, प्रकाश है
जो नम्र है, विनम्र है
जो शांत है, प्रशांत है
जो नीत है, विनीत है
जो सखा है, मीत है
वही तो मनुष्य है .......
वही तो मनुष्य है .....
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हरदीप

Tuesday, July 23, 2013

कहानी-2

माँ.... सुनाओ फिर वो  कहानी
जब चाँद में रहती थी एक बुढ़िया
...जिसे लोग केहते थे नानी   

जब पेड़ो पर होती थी मछलियां
और हवा में शीतल बेहता पानी
माँ.... सुनाओ फिर वो  कहानी

वो कागज की बनी नाव,
और आँगन में ठ्हेरा पानी
माँ.... सुनाओ फिर वो  कहानी

जहाँ गुड्डा होता था राजा
..और गुड़िया एक रानी
माँ.... सुनाओ फिर वो  कहानी

....कब आती थी नई धुप
कब  जाती थी शाम पुरानी
माँ.... सुनाओ फिर वो  कहानी

....जब जग सारा घूम के
घर आती थी चिड़ियाँ सयानी
माँ.... सुनाओ फिर वो  कहानी

.......बंद डब्बे में वो यादें
वो मिट्टी में दबी निशानी
माँ.... सुनाओ फिर वो  कहानी
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हरदीप

Sunday, July 21, 2013

हुस्न

यूँ फुर्सत से खुदा ने तुझे तराशा है
के फिर उसने बुत बनाने छोड़ दिए

ये झुकी नज़रे और नूर-ऐ-हुस्न तेरा
वाइज़ ने उसूल सारे तोड़ दिए  (वाइज़ = Preacher)

कोई गम न रहा तुझे देख कर
सिक्वे...... नए-पुराने सारे छोड़ दिए

बंद आँखों में सिर्फ तस्वीर तेरी
ख़्वाब सारे, सिरहाने छोड़ दिए   (सिरहाने = Pillow)


जब.... गिलाफ़ कोई न था बदन पर (गिलाफ़ = Some sort of cover)
..............और रखा कदम पानी में
तब ....लहरों ने किनारे सारे छोड़ दिए
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हरदीप



Thursday, July 18, 2013

सफ़र

तुने गर छोड़ दिया, तो कहाँ जाऊँगा
तेरे दर पर जिया,  तेरे दर पर मर जाऊँगा

ये कैसी बेकरारी जाने की ऐ 'दीप'
बात दो पल की है, पल दो पल में जल जाऊँगा

तेरे-मेरे प्यार के किस्से अभी भी उन गलियों में
तुने छोड़ दी वो गलियाँ, में शहर छोड़ जाऊँगा

दोज़ख की आग है ये दुनिया अब मेरे लिए  (दोज़ख = hell)
मैं पल, हर पल, ... बस.... जलता जाऊँगा


Below lines are very deep and the reality of life, at least from my perspective, journey starts from one shoulder and ends on few shoulders.

ये  सफ़र मेरा कंधे से कांधो तक ......
यार का कंधा छूटा, तो यारों के कांधो पर जाऊँगा 
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हरदीप

Tuesday, July 16, 2013

मुस्किल

अपने गम को जिंदा रखना कितना मुस्किल है
ज़ख्मो को छुपाए रखना कितना मुस्किल है

तूफ़ान पैदा करना दुनिया की फितरत है
उम्मीद का दिया जलाये रखना कितना मुस्किल है

तू कभी मिले अंजुमन में और आँखों से बात हो जाए
ऐसी ख्वाहिश को दबाए रखना कितना मुस्किल है

....will add few more lines later on.
Hardeep

Sunday, July 14, 2013

ख़ामोशी

ख़ामोशी मेरी जुबा होगी
जब आशिकी आँखों से बया होगी
फ़ना हो जाऊँगा तुझ पर
जब इशारों में तेरी 'हा' होगी

हर तरफ चलती कहानियां
कही अंत तो कहीं सुरुआत होगी
जो घर से कभी निकला नहीं
उसे जहाँ की क्या मालूमात होगी

यु तो हज़ारो लफ्ज़ है लुगत में  ( लुगत = Dictionary)
...................पर क्या कहूँगा 
......जब उससे मुलाक़ात होगी

ज़िन्दगी में मोड़ कई है
हर कदम संभल कर चलना
'दीप'....लोग तैयार बेठे है
.....गर तेज़ रफ़्तार होगी
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हरदीप

Saturday, July 13, 2013

हालात

वाकिफ था मेरी हकीकत से जो
वो मेरे हालात पूछ रहा है
ख़ामोश था सदियों से जो
अब वो मुज़्तर हो रहा है     (मुज़्तर = Restless)

अब क्या करेगा ज़माना
और कैसे रोकेगा उसे
कल तक जो किनारों की बंदिश में था
आज बेह के समंदर हो रहा है

देख इंसान रंग कैसे बदलता है
कल मुफ्ल्सी से जिसकी डर था
शोहरत पर उसकी आज फक्र हो रहा है

कही ज़माना फिर देख न ले
इसलिए तरतीब ज़रूरी है     (तरतीब = Arrangement)
दिन के उजाले में एहतियात
रातों में बे-परवाह सफ़र हो रहा है
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हरदीप

Thursday, July 11, 2013

उम्मीद

मुझे जितना मिटाओंगे
मैं उतना याद आऊंगा 
तुम मानो या न मानो .....
मैं एक दिन लौटके आऊंगा

जवानी साथ छोड़ जायेगी
ये कहानी भी खत्म हो जायेगी
तब मैं नई शुरुआत बन जाऊँगा

जब जिस्म जलने लगे
और सांस पिघलने लगे
मैं शीतल छाओं बन जाऊंगा

दुनिया गर डराने लगे
जब ऐतबार डग-मगाने लगे
मैं उम्मीद बन छाऊंगा

समझ जाना के वो प्यार था
और कुछ नहीं.......
तुझे आस होगी किसी और की 
.........और मैं नज़र आऊंगा
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हरदीप

Wednesday, July 10, 2013

અનંત

તારા  વગર જીવવું વિચારી ના સકું
તું મુજથી અલગ થાય વિચારી ના સકું
તોફાનો માં સળગતો રાખ્યો છે 'દીપ' ને
એક ફૂંક થી ઓલ્વાહી જાયે
...............વિચારી ના સકું

પ્રારંબ થી અંત સુધિ નો સાથ 
અને જીવન મરણ ની વાતો 
બે પગલે સાથ છુટી જાયે
...............વિચારી ના સકું

અસીમ રાહ જોઈ છે તારી
સમય છે સાક્ષી,
અંતિમ સ્વાસ એ તું આવે
ને પ્રાણ છુટી જાયે
...............વિચારી ના સકું

સમય ફરી બદલાશે
રંજ કોઈ દિવસ તો થાશે
તું શોધે મને, ને હું ખોવાઈ જાઉં
...............વિચારી ના સકું

'દીપ' છું, અંધકાર દૂર કરીશ
સૂર્ય ની જેમ સળગીસ,
પણ કોઈ ખૂણો રહી જાયે
...............વિચારી ના સકું
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હરદીપ

Tuesday, July 9, 2013

कहानी

कभी मन ही मन मुस्कुराता हूँ
पुरानी यादों में खो जाता हूँ

तेज़ कदमों से सफ़र तो किया
पर मंजिल से लौट आता हूँ

कहीं इमानदारी की मिसाल
तो कहीं चोर बन जाता हूँ

कभी तूफानों से टकरा गया
कभी झोंके से बिखर जाता हूँ

अब भरोसा नहीं रहा दुनिया पर
अपने हाथों अपनी कब्र सजाता हूँ

क्या कहूँ कुछ नया, बस
वही कहानी दोहराता हूँ
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हरदीप

Monday, July 8, 2013

गुमनाम

हकीकत जब सताने लगे
कहानी कोई याद आने लगे

नज़रे मोड़ से वापस आने लगे
हर राहगीर जब डराने लगे

कदम कहीं और मन कहीं और जाने लगे
जब दिल शतरंज बिछाने लगे

अपने होने पर सवाल आने लगे
जब मन डग-मगाने लगे

आईने में  सर झुक जाने लगे
शर्म से आँखों में पानी आने लगे

वो मंज़र नजरों में छाने लगे
वो गलियाँ याद आने लगे

जब याद किसकी तड़पाने लगे
और अपनी बेवफाई याद आने लगे

........तब समझना तुझे ऐहसास हो गया
        तू 'जीत' के भी हार गई
        में 'हार' के भी जीत गया
        तू अपनों में न जी पाई
        में गैरों में जी गया
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हरदीप







Sunday, June 9, 2013

बीते पल

जब से हमने जीने की कसम खाई है
हर पल सांसोने कीमत चुकाई है

यह उठता धुआं आँखों में चुभता है
शायद आग किसी अपने ने लगाई है

किसका गुनाह किस पर इलज़ाम
अपने हाथों से अपनी किस्मत मिटाई है

गर मर गया, तो उसका लिखा गलत हो जायेगा
इसलिए अपनी ही लाश कंधो पर उठाई है
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हरदीप

Sunday, May 26, 2013

कुछ पुरानी यादें .....

बच्चपन से फिर मिलना चाहता हूँ
पुरानी यादों को नया करना चाहता हूँ

गुनाह कभी कोई किया नहीं मेंने
बस समय से दो पल चुराना चाहता हूँ

कब दामन छुंट गया पता नहीं
में फिर ऊँगली पकड़ चलना चाहता हूँ
   
ज़माना हो गया भिग्गे हुए
अब की बरसात में भीगना चाहता हूँ

तेज रफ़्तार है ज़िन्दगी
में कुछ देर बैठ कर जीना चाहता हूँ

-------to be continued 






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हरदीप

Saturday, March 23, 2013

सच्चाई

जिसे ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया
वो मुझे मंजिल तक पहोचायेगा
कोई और नहीं, मेरा खून मुझे आग लगाएगा

क्या गुमान तुझे दौलत का
सब यहीं रह जाएगा
मिट्टी से बना तू, मिट्टी में मिल जाएगा

होश में तो भावनाओं पर काबू कर लिया तुने
क्या करेगा, जब कोई सपनों में रुलाएगा

बेवजह लोग चिंता करते है कल की
कल न आया है और न आएगा
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हरदीप

मातृभूमि

उस दौर की यह कहानी
मातृभूमि के लिए खून बहता पानी

बेखौफ वीर मौत से टकरा गए 
आज़ादी के लिए न्योछावर की जवानी
...मातृभूमि के लिए खून बहता पानी

किस्से, कहानियों में अमर हो गए
सुनहरी दास्तान, हर एक की जुबानी
...मातृभूमि के लिए खून बहता पानी

इंक़लाब जिंदाबाद के हर तरफ नारे
क्या अपने, क्या गैर साथ चल दिए सारे
एक नया जोश, खून में नई रवानी
...मातृभूमि के लिए खून बहता पानी

गलत है वो लोग जो बात करते है होश की
बदलाव के लिए ज़रुरत है जोश की
शायद फिर दोहराएगा कोई वो कहानी
...मातृभूमि के लिए खून बहता पानी
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इंक़लाब जिंदाबाद

हरदीप

Wednesday, March 20, 2013

अकेला

पुराने रिश्ते सारे तोड़ आया
वो रास्ते गलिया छोड़ आया

मेरे कदमो के निशां होंगे वही
जहाँ में अपनी मंजिल छोड़ आया

ख्वाहिश ऐसी समुंदर की
मैं बेहता पानी छोड़ आया

जहाँ विजेता को पूजते है लोग
मैं ऐसी दौड़ छोड़ आया

सूरज इठलाता है मुझ पर अब
मैं अपने आंगन की शीतल छाव छोड़ आया
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हरदीप

Monday, March 18, 2013

बाज़ार

अरमानो की दूकान में, प्यार के खिलौने 
रंगीन कागजों में सजाए सपने सलोंने
....चलो आज कुछ खरीदें बाज़ार से

कुछ खनक ते सिक्के लाया हूं
उम्मीद से वादा करके आया हूं
खाली हाथ न लौटूंगा बाज़ार से
....चलो आज कुछ खरीदें बाज़ार से

रंग बिखेरती कांच की चूड़ियाँ,
प्यार से मुस्कुराती, मिट्टी की गुडिया
खरीद ले किसी भी दूकान से
....चलो आज कुछ खरीदें बाज़ार से

अच्छे-बुरे, हर किस्म के लोग होंगे
मुखोटों के पीछे छुपे लोग होंगे
तू परख ना ध्यान से
....चलो आज कुछ खरीदें बाज़ार से

खुशियाँ कहा मिलती हैं बता दे
एक बार मुझे भी पता दे
 खरीदूंगा मैं आराम से
....चलो आज कुछ खरीदें बाज़ार से
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हरदीप

Saturday, March 16, 2013

अधुरा

लम्बी जिंदगानी, प्यार अधुरा
ख़तम कहानी, अरमान अधुरा

एक तस्वीर, रंग अधुरा
एक ख्वाब, सच अधुरा 

कस्मे वादे, साथ अधुरा
वो इरादे , प्यार अधुरा

टूटे रिश्ते, सपना अधुरा
छुटे अपने, में अधुरा
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हरदीप

Friday, March 15, 2013

आदमी

क्या बनाया तुने ये आदमी
गैर पर भरोसा नहीं, और
अपनों से चोट खाया आदमी

क्या तेरा, क्या मेरा, क्या पाया तुने आदमी
खाली हाथ आया था, खाली हाथ गया आदमी

दौड़ आगे बढने की, दौड़ कुछ पाने की
चंद खुशियों के लिये, पल पल बिकता आदमी

पत्थर के सीने में, आंसू से भरा आदमी
कभी कभी मोम सा पिघलता आदमी

जब तक सांसे, तब तक जिंदा आदमी
फिर आदमी ने जलाया आदमी 
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हरदीप

Saturday, March 2, 2013

तलाश

जिसे सदियों से मै खोज रहा था
उसे आज करीब से गुजरते देखा

ख्वाहिश सिर्फ सच की थी
हमने हर सवाल पर, आईने को मुकरते देखा

बागबान, बेवजह फिक्र मत कर चंद फूलों की
हमने तो पूरा गुलिस्तां उजड़ते देखा

ये क्या करामात है कुदरत की
जिंदा लोग डूब गये और लाशों को तैरते देखा

मंजिल न मिलेगी कभी, ये पता चल गया
जब हमने रास्तो को बदलते देखा

बिछड़ना क्या होता है उस परवाने से पूछो
जिसने शमा को पिघलते देखा
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हरदीप

Thursday, February 28, 2013

ख्याल

कुछ ईस तरह उसने दामन छुड़ाया
भरी महफ़िल में बेवफा कहके बुलाया

नये ज्हकम खाए हम ने दिल पर
जब उसने ये इलज़ाम लगाया

शोलो ने देहकना छोड़ो दिया
जब हमने अरमानो को जलाया

खुदा करे के तू भी उस मकाम से गुजरे
जो मंज़र तुने हमे दिखाया
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हरदीप

Vichar

તારા  વગર જીવવું વિચારી ના સકું
તું મુજથી અલગ થાય વિચારી ના સકું
અરે તોફાનો માં સળગતો રાખ્યો છે 'દીપ' ને
એક ફૂંક થી ઓલ્વાહી જાયે
...............વિચારી ના સકું

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હરદીપ

Monday, February 25, 2013

Gudiya

Sometime you do not have words to express though you have lot to say, this is one such situation ........ a girl talking to her mother while she is still inside her mother womb and is yet to see the light of life ... she is fearful that she'll be killed even before she is born .......

तेरे आँगन की चिड़िया बनूँगी
तेरे बचपन की गुड़िया बनूँगी
खुशियों के 'दीप' जलाने तो दे 
माँ...... मुझे जहां में आने तो दे

पहोंचा दूंगी अपनी आवाज़ दुनिया तक
इस ज़मीन से, उस आसमान तक
मुझे ज़िन्दगी के गीत गुन-गुनाने तो दे
माँ...... मुझे जहां में आने तो दे

धुप में तेरी छाव बनूँगी
मझधार में तेरी नाव बनूँगी
उन लेहरों से टकराने तो दे
माँ...... मुझे जहां में आने तो दे

उमंग जीने की है मुझमें
संघर्ष की क्षमता है मुझमें
लड़ने का एक मोका तो दे
माँ...... मुझे जहां में आने तो दे

तेरे अधूरे ख्वाब सजाऊँगी
तुझे...... तुझसे फिर मिलाऊँगी
..........सिर्फ एक ज़िन्दगी दे 
माँ...... मुझे जहां में आने तो दे
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हरदीप

Friday, February 22, 2013

दाम

I was thinking about Hyderabad blast and this is what came in my mind ...

मुफ्तखोरो की दुनिया में अक्सर ये होता है
जिंदा इंसान का मोल नहीं
मर कर ऊँचे दामों पर बिकता है |

क्या हिन्दू, क्या मुसलमान, किसने किसको मारा
मुझे तो ज़मीन पर लगा लहू
एक समान दीखता है

खालिस व्यापार है दुनिया,और कुछ नहीं
कही सोना, कही चांदी और कही इंसान बिकता है

गया ज़माना जब तेरी अहमियत थी
अब बाजारों में, ईमान कोडियों के दाम बिकता है

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हरदीप


Saturday, February 16, 2013

...... मिला नहीं

केहते है मांगो शिद्दत से, सब मिलेगा
हमने माँगा रात दिन कुछ मिला  नहीं

बड़ी उम्मीदों से आये थे दुनिया में
उम्र हो गयी पर वो मिला नहीं

यहीं मिलेंगे कल, वो केह्के गया था
ऐसा बिछड़ा के फिर कभी मिला नहीं

कैसे यकीं करे के उसे भी महोब्बत थी
ख़त कई लिखे हमने, जवाब कभी मिला नहीं
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हरदीप

शराब

में न जाता,  पर मै (शराब) ले गई
थोड़ी पेहले से पि थी, और थोड़ी वो दे गई

शराबी नहीं हु में, पर आज पि ली
दो घुट क्या गये और बदनामी हो गई

आदत ये बुरी है, पर हम न माने
पहले एक जाम था, अब पूरी सुराही हो गई

गमो से दिल भर गया , और आखो में समंदर
मन था रोने का और बरसात हो गई

शेहराओ में भटकता रहा 'दीप', गुलिस्तान न मिला
तमन्ना थी उसके साथ जीने की, और मौत ले गई
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हरदीप

सवाल

सोचा न था, यु हो जायेगा
एक हसी शाम का रोशन सफ़र, अंधकार  में बदल जायेगा

बहोत लुटा जालिमोने और बहोत दर्द दिया
जीके तो कम नहीं होता, मर गए, सोचा शायद कम हो जायेगा

कोशिश बहोत की, पर बेरंग ज़माना नहीं बदला
पर शायाद अब मेरा लहू रंग लायेगा

ऐ 'दीप' मत फिक्र कर इतनी, कुछ नहीं बदलेगा
हालात येही रहेंगे , सिर्फ चेहरा बदल जायेगा

मर के भी ऐहसास दिलाऊंगी , एक सुलगता सवाल छोड़ जाऊंगी
निकलेगा जब मेरा जनाज़ा तो शहर से हो कर जायेगा
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हरदीप

खोज



बदलाव खयालो से नहीं होता
हाथो में मशाल चाहिए
सिर्फ पंखो से कुछ नहीं होता
होसलो में उड़ान चाहिए (इंस्पायर्ड)

उड़ना मेरी फितरत है
और उचाई मेरी आदत
बादलो से कुछ नहीं होता
अब पूरा आसमान चाहिए

खोफ्ज़दा इंसानियत और लहू-लुहान हर बदन
कातिलो की इस दुनिया में
मुझे एक इंसान चाहिए

बहॊत फतवे लिख दिए हम ने क़त्ल के
अब सब को प्यार सिखा सके, मुझे वो फरमान चाहिए

किस पर यकि करे किस पर नहीं
सब दिखते एक समान
मुझे इन चेहरों के पीछे छुपा
वो बईमान चाहिए
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हरदीप

मुलाकात



इतनी आसानी से उससे मुलाकात नहीं होती
ऊपर, मज़हब से तेरी पेह्चान नहीं होती

जब आये तो सफ़ेद थे सारे, कही हरा तो कही केसरी रंग हमने भर दिए
तेरे कर्मो से लोग तुझे जाने गे, लिबास से तेरी पेह्चान नहीं होती

मखमली लिहाफ को हटा के तो देख
खुसबू आएगी, मिटटी को बदन पर लगा के तो देख
सिर्फ महंगे इत्र्र से तेरी पेह्चान नहीं होती

पैदा होते ही नाम दे दिया तुझे
किसी ने 'दीप ' तो किसी ने अली कहा तुझे
लावारिस मरा तो क्या कहेगा तुझे जमाना
सफ़ेद कफ़न में किसी की पेह्चान नहीं होती
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हरदीप

રહસ્યો



દરેક રહસ્યો પર અહી પરદા પડે
અહી સેરીયો અને ગાળિયો માં ફક્ત મડદા મળે
જવાબ કોઈ નહિ આપે અહી
ફક્ત તારા પર્શ્ના પડઘા પડે  |

બૂમ માર જો કોઈ જવાબ મળે
તો 'દીપ ' ઓહાળવી  કાળજે
અહી પર્શ્નો ની કબર માં લોકો સડતા મળે |

હું જીવન ભર એકલો ચાલ્યો છુ
કૌન આવસે મારી જોડે  આ પથરાળી રાહ પર
અહી સપાટ રાહ પર  લોકો પડતા મળે |

આજ ખૂન નો પ્યાસો થયો છે માનવી
માનવી ક્યાં રહ્યો છે માનવી
તું અમન નો ઝ્હંડો ના લઈને ફરીસ 'દીપ '
અહી ડગે ને પગે લોકો લડતા મળે |

ના રડીસ 'દીપ' તું નથી જાણતો આની કિંમત
અરે સમુન્દ્ર ની વાત છોડ
અહી ટીપા માટે લોકો લડતા મળે |

જમાના ની આગ માં મારું ઘર બળી ગયું
મન દુભાયું,  હું રડ્યો ને લોકો,  હસતા મળે|

ના જાને કઈ મૂકી આવ્યા તનેય
તું છે, અરે ભૂલી ગયા  તનેય
અરે શ્રધા નું તો ઠેકાણું નથી
ને મંદિર મસ્જીદ ની વાતો કરતા મળે |
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હરદીપ