Sunday, May 10, 2015

माँ

......................ऐसी होती है माँ ....
लकीरों वाले हाथों से, चुपके से सर बहलाती है
आँखे बंद है, औरो के लिए सोया हूँ, पर समज जाती माँ

उम्मीदो की थाली, ख्वाहिशों का प्याला
मुस्कुराते चेहरे से, प्यार परोसती माँ
......................ऐसी होती है माँ ....

मायूसी  और नाकामयाबी की रातों में
फ़िक्र की चादर ओढ़ के, खुली छत पर सोता हूँ
चुपके से, धीरे से .... कभी लाखों सितारे
और कभी .... खुशियों का चाँद जैसी माँ 
......................ऐसी होती है माँ ....

ढलती रात, चढ़ता सूरज ...
आँगन में खिलते फूलों सी माँ ..
......................ऐसी होती है माँ ....

हज़ारों दर्द है सीने में ... पर
मुस्किलो में चटानो सी माँ ...
......................ऐसी होती है माँ ....

गीता के शब्दों में, कुरान के पन्नो में
मंदिर, मस्जिद, काबा, काशी जैसी माँ ...
......................ऐसी होती है माँ ....