जब से हमने जीने की कसम खाई है
हर पल सांसोने कीमत चुकाई है
यह उठता धुआं आँखों में चुभता है
शायद आग किसी अपने ने लगाई है
किसका गुनाह किस पर इलज़ाम
अपने हाथों से अपनी किस्मत मिटाई है
गर मर गया, तो उसका लिखा गलत हो जायेगा
इसलिए अपनी ही लाश कंधो पर उठाई है
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हरदीप
हर पल सांसोने कीमत चुकाई है
यह उठता धुआं आँखों में चुभता है
शायद आग किसी अपने ने लगाई है
किसका गुनाह किस पर इलज़ाम
अपने हाथों से अपनी किस्मत मिटाई है
गर मर गया, तो उसका लिखा गलत हो जायेगा
इसलिए अपनी ही लाश कंधो पर उठाई है
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हरदीप