Friday, February 7, 2014

कहानी-३

खुसियों कि जुबां से दुःखों कि कहानी
वोही तू, वोही मैं ... और फिर वोही कहानी

हज़ारों खवाहिशे, हज़ारों हसरते
एक पागल मन, और छोटी सी ज़िंदगानी

उमड़ता समुन्दर, घुमड़ते बादल
और लेहरों मैं फसी नाव पुरानी

नया क्या है, कुछ भी तो नहीं
वोही तस्वीर, वोही याद पुरानी
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हरदीप

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