Friday, January 3, 2014

इश्क़

ये क्या कत्ले-आम मचा रखा है
क्यू हुस्न को परदे में  छुपा रखा है

हटा दे पर्दा, के रोशन हो जाए जहाँ
क्यू महताब को बादलों में छुपा रखा है

ज़रा-ज़रा बेताब है बूँद के लिए
क्यू आँखों में सैलाब दबा रखा है

इन्तेहाँ मोहब्बत कि, केह दिया ख़ुदा तुझे
.......और तेरे सजदे में सर झुका रखा है

दुनिया ने कभी अहमियत नहीं दी
..अब इश्क़ ने मशहूर बना रखा है

यूँ .....लोगों कि नज़रो से बचा रखा है,  
रात को आसमान पर चाँद सजा रखा है
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हरदीप

1 comment:

  1. Wah buddy another gem of your imagination.
    Ye ishq hi to hai jisne pakad rakha hai...varna husnwale to bahut hai...

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